40 घर की व बीमार पति की ज़िम्मेदारी थी ही | बच्चे पढ़ रहे थे, उन्हें खाने से लेकर समय पर हर चीज़ मुहैया कराना उनका कर्तव्य था | गर्ज़ ये कि बीबी ने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को होम कर दिया था, जिसका उन्हें कोई मलाल न था | बस वे जितना संभव हो उतनी ही शीघ्रता से अपनी इस ‘बेचारगी’से उबरना चाहती थीं जिसमें उन्हें समय ने जकड़ दिया था | उनका पूरा विश्वास व श्रद्धा थी कि इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता –बस, उसे अपनी भीतरी शक्ति को पहचानने की देरी होती है | कभी-कभी