35 लड़ते-भिड़ते, झख मारते दोनों चाट की दुकान से घर तक आ गईं थीं | किन्नी जानती थी, सुम्मी उसके साथ खेलने नहीं आई थी और उसे घर पर न पाकर वह समझ गई थी कि वह कहाँ होगी? सुम्मी भी क्या करे ? जाटनी खुद तो चाट खाती नहीं थी, उसके पीछे किसी जासूस की तरह लगी रहती थी | एक के बाद एक पृष्ठ खुलते रहे –और समिधा अपने अतीत की गलियाँ पार करती रही | पुण्या न जाने कब आकर गहन निद्रा में लीन हो चुकी थी | कुछ दिन पहले ख़बर मिली थी कि किन्नी की