निर्माण कविता एवं अन्य रचनाएं

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1)निर्माण--------------कर रहा जग उन्नति चारों दिशाओं मेंआगे बढ़ रहे हैं कदम चाँद -तारों मेंविज्ञान ने कर ली है तरक्की हर पैमाने मेंआदमी भी मशीन बन गया अब तो इस जमाने मेंवहीं रोबोट भी बदल रहा इंसानों मेंअत्याधुनिक साधन मानव को बना रहे है पंगुवह दिमाग से नहीं मशीनों से अब गणित कर रहा कागज , कलम अब हो रहे सिर्फ नाम केमोबाइल ,आईपैड पर लिखकर ही नाम कर रहा हैनव निर्माण हो रहा तेजी से, बदल रही है दुनियाइंसान का इंसानों से प्रेम अब कम हो रहाजुड़ गए हैं सभी वैज्ञानिक उपकरणों सेरिश्ते भी अब उसी में सिमट कर रह गएइंसानियत