कभी सोचा न था- भाग-२

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कभी सोचा न था ( भाग-२)२२.जब भी गाया धुन अपनी थीजब भी गाया धुन अपनी थीजब भी सोचा, मन अपना थाजब भी देखा, दृष्टि साफ थीजब भी पूजा, भगवान पास था।मन में कोई दोष नहीं थादूर चला था लय नया था,युग के सारे बोल सुना थाकभी अकेला कभी साथ मिला था।नये क्षण में, नया प्यार थाचलने में व्यवधान नहीं था,नये समय में नया रचा थाईश्वर में कोई भेद नहीं था।क्षण के ऊपर जो लिखा थाउसको पढ़ता मैं चलता था,मुझको कुछ-कुछ याद पड़ा थादुख ने सबको मोड़ा लिया था।जब भी गाया स्वर अपना थाहर बसंत का सुख न्यारा था। ******२३.जो गीत तुम्हारे अन्दर हैजो गीत तुम्हारे अन्दर हैमैं गीत वही तो गाता हूँ,व्यथा तुम्हारे साथ चली जोमैं हाथ उसी के थामे हूँ।प्यार तुम्हारे पास रहा जोखोज उसी की करता हूँ,जो सौन्दर्य हमारे बीच रहामैं आसक्त उसी