पति देवता डॉ0 स्वतंत्र कुमार सक्सेना -‘पति तो देवता होता है,पति की ही बेज्जती स्वागत सत्कार तो गया चूल्हे में ।पूंछ रही थी, अब तक कहां रहे ?और बीबी तो बीबी, लड़का भी बाप से सवाल कर रहा था।‘ श्याम लाल बहुत ही क्रोधित थे मुंह से फेन निकल रहा था आंखें लाल थीं । वे अपने आपे में नहीं थे,हांफ रहे थे,---‘ घनघोर कल जुग ,और कैसो होत? हे भगवान मर्दों की ऐसी दुर्दशा । मेरे ई घर में मेरी पूंछ नईं । मां बेटा दोनों बदल गए , तनक न सोची