"सरिता कभी तुम्हे अकेलेपन का एहसास नही होता?इतना बड़ा घर और तुम्हारी तन्हाई।कोई तो साथी होना चाहिए जिससे जिंदगी में बहार आ जाये।जीवन साथी होना चाहिए जिससे अपने सुख दुख की बाते कर सके"।शिखा ने अपने सामने बैठी सरिता पर नज़र डाली थीसरिता चालीस की दहलीज पर थी।गौरी,तीखे नैन नक्श की सुंदर सरिता को एकाकी जीवन ने काफी बदल दिया था हर समय ताजे गुलाब सा खिला रहने वाला चेहरा मुरझाए बासी फूल सा नज़र आने लगा था।उसकी आँखों के गिर्द काली रेखाएं उभर आयी थी।सरिता और शिखा दोनो सहेली थी।दोनो कालेज में साथ पढ़ती थी।सरिता के पिता वकील थे।शिखा