हर युग का ज्ञान कला देती रहती हैहर युग की शोभा संस्कृति लेती रहती हैइन दोनों से भूषित बेशित और मंडितहर नारी प्रतिभा एक दिव्य कथा कहती है।कला और संस्कृति को अपने आंचल में संजोए प्रत्येक भारतीय नारी युगों युगों से अनेक दैवीय एवं मानवीय मूल्यों की धरोहर को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती रही है। अपने इन्हीं गुणों के कारण वह उत्थान के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचने की कामना को साकार कर सकी है। आचार्य मनु ने कहा हैयत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।अर्थात जहां नारी की पूजा की जाती है या सम्मान किया जाता है वहां देवता भी