मृगतृष्णा तुम्हें देर से पहचाना - 6

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अध्याय छहमाता न कुमाता हो सकती आखिर तुम्हारे पिता में ऐसा क्या है कि तुम उनके इतने नजदीक हो| इतने नजदीक कि मेरी हर एक बात उनसे बता देते हो | दोनों मिलकर मेरी बुराई करते हो...मेरा मज़ाक बनाते हो | पहले मैं सोचती थी कि यह मेरा भ्रम है पर हर बार वह भ्रम सही साबित हुआ है | बहू ने मुझे खुद ही बताया कि तुम जब भी मेरे घर आते हो, उसके पहले घंटों पिता से फोन पर बात करते हो | उनसे टिप्स लेते हो।यह बात तो मैं समझती ही थी क्योंकि तुम्हारी हर बात में