मृगतृष्णा तुम्हें देर से पहचाना - 5

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अध्याय पांच गर्भ नाल का रिश्ता मुझ पर डर हावी हो गया है बेटा | यह विचार कि तुम अपने पिता के पास हो कि तुम मेरी छत्र-छाया से दूर चले गए हो कि आज या कल तुम किसी हादसे का शिकार हो सकते हो | मैं रात-रात भर नहीं सो पाती हूँ और जब मेरी आँख लगती है तो मुझे सपने में तुम नजर आते हो, कभी बीमार कभी उदास | जब तुम मेरे पास थे तो मुझे यह सांत्वना थी कि कम से कम तुम तो मेरे पास हो, जिसे मैं सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ किन्तु जबसे