अस्थि-कलश

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कुछ सालों पहले की बात है,तब मेरी शादी नहीं हुई थी,मैं आगरा से झाँसी अपने घर जा रहा था,चूँकि मैं आगरा मैं एक प्राइवेट कम्पनी में जाँब करता था,दशहरे की छुट्टियाँ हुईं तो मैने सोचा आगरा में रहकर क्या करूँगा?क्यों ना अपने घर झाँसी चला जाऊँ?इसलिए समय बर्बाद ना करते हुए मैनें रात की बस पकड़ने का प्लान बनाया ,सोचा अगर नौ बजे की बस भी मिल जाएगी तो रात को दो तीन बजे तक घर पहुँचकर थोड़ा सो भी लूँगा और बस स्टाप आकर मैं बस में सबसे आगे वाली सीट पर आकर बैठ गया,मेरे बगल वाली सीट एकदम