चेहरे पर चेहरा (पार्ट 2)

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घर पर आकर मैने सारी बात अपनी पत्नी को बताई थी।वो सब बातें मेरी बेटी के कानों में भी पड़ी थी।लड़का अच्छा था।अच्छी नौजरी करता था और रिश्ता होने की पूरी उम्मीद थी।अगले दिन मैने अपने बेटे के साथ अपनी बेटी का फोटो डॉक्टर साहिब के पास भिजवा दिया था।जगदीश कोटा से लौटा तब मेरे से बोला,"डॉक्टर साहिब से मिल आये?""हां"मैं उसे सब बात बताते हुए बोला,"और बात तुम कर लेना।"डॉक्टर साहिब विधुर हो चुके थे।वे अपने अविवाहित पुत्र के साथ होस्टल में रहते थे।उनका पुश्तेनी मकान पथवारी में था।डॉक्टर साहिब अपने पुश्तेनी घर भी जाते रहते थे।वहां उनके दूसरे