लगभग एक महीना बीत गया , तीनों को साहूकार के खेतों में काम करते हुए । पर घर में पैसों की बचत के नाम पर , सिर्फ दो सौ रुपए बचे थे । जिससे आज की महंगाई में, सिर्फ कुछ मिर्च मसाले और कुछ तरकारी ( सब्जी ) आ सकती थी । खैर, तब भी वो लोग मन लगा कर लगन से , काम कर रहे थे । और साहूकार , उनकी इसी लगन और मजबूरियों के चलते , खूब काम कराए जा रहा था । पर उनका मजदूरी का पैसा , नहीं बढ़ा रहा था। एक दिन सुशीला के