नंगा बदन

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नंगा बदन नंगा बदन पुस्तक मेरी लिखी हुई पाँच कविताओ का संग्रह है, जिसमे समाज मे फैली गरीबी, अराजकता, द्वेष एवं बाल शोषण का जिक्र किया हुआ है। साथ ही साथ सूर्य का भड़कना, नदी का उफान भरना एवं सर्द रातों का रोना के माध्यम से प्रकृति की सुंदरता का भी जिक्र किया हुआ है। पहली कविता: फुट-फुट कर रोना है... इसमे मैने परिवार के साथ भिख मांगते एक वृद्ध के सब्र का, नंगे कदमो से तेज धुप मे दोड़ती हुई औरत का, फुटपाथ पर सोते हुए बेबस माँ बाप की स्तिथि का वर्णन किया है। साथ ही साथ जिंदगी