मौत का खेल - भाग-18

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क्रिमनल साइकोलॉजी घोस्ट बहुत तेजी से भागी चली जा रही थी। शहर काफी पीछे छूट गया था। सड़क पर इस वक्त ज्यादा गाड़ियां नहीं थीं। वन वे होने की वजह से घोस्ट की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा के आसपास थी। यहां रोड लाइट नहीं थी। इस की वजह से जहां तक घोस्ट की हेडलाइट्स जा पा रही थी। उतना ही हिस्सा नजर आ रहा था। बाकी दूर दूर तक अंधेरे का राज था। सड़क पर टायरों की रगड़ से अजीब सी आवाज हो रही थी। ऐसा लगता था जैसे बहुत सारी बदरूहें कहकहा लगा रही हैं। सलीम अभी तक