उपन्यास भाग—२ अँगड़ाईयॉं– २ आर. एन. सुनगरया, कामेश्वर हाट-बाजार का जायजा लेता, घूमता-घामता, ढूँढ़ता-ढॉंढ़ता, खोजता-खाजता, तलाश करता पहुँच ही गया रति के डेरे पर। वहॉं चार युवतियॉं सजी-संवरी, हंसी-ठिठोली, हंसती-खिल-खिलाती, ठहाके लगाती, एक-दूसरे के साथ लिपट-लिपट कर उधम-मस्ति करती, तितलियों की