यकिं - एक मां की दास्तां

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दरवाजे के पास जाकर मैंने बेल बजाया। तो अंदर से एक औरत की चहकती हुई आवाज सुनाई दी- लगता है वो आ गई। जल्दी से आरती की थाल ले आओ। अरे तुम लोग अभी तक यही हो, जल्दी करो। 10 साल बाद वो वापस आई है, आरती तो बनती है। उसने दरवाजा खोला हाथों में आरती की थाल, आंखों में चमक और चेहरे पर खुशी पहले की ही तरह। पहले उसने मुझे देखा, फिर मुझे सामने से हटाकर अगल-बगल देखा, फिर उदास होकर मुझसे कहा- वो कहां है? तुम उसे अपने साथ नहीं ले आए? मैंने बहुत मुश्किल से कहा- नहीं.... वो.... उसने