24 गाड़ी में सहज मौन पसरा रहा और लगभग दस मिनट पश्चात गाड़ी अलीराजपुर के ‘बैस्ट’ होटल के सामने जाकर रुक गई | अँधकार में आँखें गड़ाने पर समझ में आया कि होटल किसी बाज़ार में स्थित था | दो-एक चाय व पैन की दुकानें अभी खुली थीं जहाँ आदिवासी युवा लड़के मदिरा की झौंक में, बीड़ियों से वातावरण को प्रदूषित करते हुए ‘ही—ही, हो-हो’कर रहे थे | रेडियो पर सन्नाटे को चीरता हुआ ‘आजा सनम, मधुर चाँदनी में हम–तुम मिले तो वीराने में भी आ जाएगी बहार‘ बज रहा था | होटल पर भी एक छोटा सा बल्ब टिमटिमा