गुनाहों का देवता - 5

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भाग 5 सुधा गयी नहीं। वहीं घास पर बैठ गयी और किताब खोलकर पढऩे लगी। जब पाँच मिनट तक वह कुछ नहीं बोली तो चन्दर ने सोचा आज बात कुछ गम्भीर है। 'सुधा!' उसने बड़े दुलार से पुकारा। 'सुधा!' सुधा ने कुछ नहीं कहा मगर दो बड़े-बड़े आँसू टप से नीचे किताब पर गिर गये। 'अरे क्या बात है सुधा, नहीं बताओगी?' 'कुछ नहीं।' 'बता दो, तुम्हें हमारी कसम है।' 'कल शाम को तुम आये नहीं...' सुधा रोनी आवाज में बोली। 'बस इस बात पर इतनी नाराज हो, पागल!' 'हाँ, इस बात पर इतनी नाराज हूँ! तुम आओ चाहे हजार