नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 19

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19 “ज़िंदगी केवल वहीं नहीं होती जहाँ तुम रहती हो, ज़िंदगी तुम्हारे दायरे से निकलकर चारों तरफ फैली हुई है और सबको अलग-अलग सबक सिखाती-पढ़ाती रहती है ! मैंने तुम्हें पहले भी कितनी बार समझाया है, जिंदगी है, इसे जीना सीखो | वो बेचारा तुम्हारा शरीफ़ पति तुम्हारी चिंता में आधा हुआ जा रहा है | अब हम अगर ज़रा ज़रा सी बातों पर मस्ती छोड़ दें तो बस, जी लिए !मैं जीता-जागता उदाहरण हूँ तुम्हारे सामने, इतनी परेशानियाँ झेलकर भी किसीके सामने रोता हूँ क्या?” झाबुआ से लौटने के बाद जब समिधा ने सारांश तथा सान्याल से झाबुआ के