ओ वसंत - 2

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ओ वसंत भाग-२३१.जो तारे माँ ने दिखायेजो तारे माँ ने दिखायेवे अभी भी चमक रहे हैं,जो ध्रुव तारा पिता ने दिखायाअभी भी अटल है,जो शब्द माता-पिता ने सिखायेअभी भी जिह्वा पर हैं,जो रास्ते माता-पिता ने बतायेवे अभी भी अडिग हैं,जो प्यार परिवार ने दियाअभी भी अविस्मरणीय है,जो शक्ति देश ने दीवह अभी भी अजेय है,जो सच प्रकृति ने दियावह अभी भी अमिट है,जो संस्कार आत्मा के थेवे अभी भी अमर हैं। ********३२.जो बार-बार बसंत दिखाता हैमेरे अन्दर एक रूप हैजो विस्तार पाता है,एक पहाड़ हैजो ऊँचा उठता है,एक नदी हैजो हर रोज बहती है,एक महासागर हैजो छलकता रहता