सभी की परीक्षाएं शुरू होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा था इसीलिए कॉलेज की भी छुट्टियां हो गई थीं ताकि सब अपनी अपनी पढ़ाई कर सकें। त्रिधा अब हर्षवर्धन, प्रभात या संध्या किसी से भी नहीं मिलती थी क्योंकि अब सिर्फ उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना था। हालांकि पढ़ाई के अलावा जब भी त्रिधा कोई भी काम कर रही होती तब उसे हर वक्त प्रभात की कही बातें याद आतीं। जब प्रभात कह रहा था कि उसे शर्म आती है त्रिधा को अपनी दोस्त कहते हुए। बस वही एक बात हर वक्त त्रिधा के कानों में गूंजती रहती