मे और महाराज - ( जलन_३) 30

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" सच में मैं जो भी कहूंगी तुम मानोगे।" समायरा ने उसके कमरे में बैठे सिराज से पूछा।" हम ने कहा ना, आप हमारे लिए खास है। हम आपकी सारी बाते मानेंगे।" सिराज ने उसके सर पर थपथपाते हुए कहा।" अच्छा अब समझो, जो तुम तुम्हारी आखों के सामने देख रहे हो। अगर कोई तुम्हे कहे की वो सच नहीं है। मतलब सच है, पर जैसा तुम सोच रहे हो ऐसे नही। अलग तरीके से, जिसमे कोई जादू जुड़ा हुआ है तो तुम क्या करोगे ?" समायरा ने उसके सामने बैठते हुए पूछा।" ये कैसी बहकी बहकी बाते कर रही