उजाले की ओर ---संस्मरण

  • 5.8k
  • 1.9k

स्नेही मित्रों ! नमस्कार बरसात का पानी गिरते देखकर कुछ बातें सहसा याद आने लगती हैं | बचपन की बातें --ज़िद करके नाव बनवाने की फिर उस नाव को बरसात के सहन में गढ़े में भरे पानी में चलाने की और नाव के पिचक जाने के बाद उस गढ़े में छपाछप कूदने की ,कपड़े गंदे करने की फिर भीगे कपड़ों को बदलने के लिए कहे जाने पर उन्हीं गीले कपड़ों में रहकर सड़क पर जाने की ज़िद ! साठ/पैंसठ वर्ष पूर्व लड़कियों को ,वो भी उत्तरप्रदेश की लड़कियों को कहाँ छूट मिलती थी यह सब करने की