वर्जित व्योम में उड़ती स्त्री - 6 - अंतिम भाग

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भाग छह रात के एक बजे ही मेरी नींद खुल गई। आंधी आज फिर प्रचंड रूप में तांडव मचा रही थी। इस बार उसके साथ बिजली .तेज बारिश और भयंकर आवाज़ में गरजते बादल भी थे। जैसे पूरी तैयारी, पूरी फ़ौज के साथ हमला बोला गया हो। छतों से टीन, फाइवर, घास -फूस के छज्जे उड़कर दूर- दूर जा पड़े थे। भड़ -भड़ तड़ -तड़ की आवाज़ आ रही थी। प्राचीन शास्त्र में मेघ -नाद को पुरूष सौंदर्य का मापदंड माना गया है, पर इस समय तो उनका नाद दिल को दहला दे रहा है। लगता है वे फट कर