बड़े धोखे हैं...

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संसार में हर कदम पर धोखे हैं, देने वालों और खाने वालों की कमी नहीं है।कुछ खुशकिस्मत बाल-बाल बच जाते हैं। विविधा के बाल्यकाल में ही माँ की मृत्यु हो गई थी, पिता ने अपने से आधी उम्र की गरीब युवती से दूसरा विवाह कर लिया था।हमारा समाज अजीब है।पत्नी की मृत्यु होते ही उसे तथा उसके परिजनों को यदि बच्चे हैं तो उनकी परवरिश की चिंता सताने लगती है और यदि सन्तान विहीन हैं तो अकेलेपन का भय।वहीं स्त्री के विधवा होने पर उससे अनन्त उदासी एवं बेरंग जीवन की अपेक्षा की जाती है।दो बच्चे हों तो भी