समीक्षा कृति- जादूगर जंकाल और सोनपरी कथाकार राजनारायण बोहरे समीक्षक रामगोपाल भावुक कथाकार राजनारायण बोहरे को बचपन से ही किस्से कहानियां सुनने का शौक रहा है। बचपन में अपनी बुआ दौलत जिज्जी अर्थाइखेड़ा, भौंरा वाले काकाजू, यानी रामेश्वर दयाल चतुर्वेदी और कन्ना दाज्यू यानी कर्णसिंह प्रजापति से जादूगर,दानव, परियां और बहादुर युवकों के जो किस्से इन्होंने सुने हैं उनके प्रभाव से किशोर अवस्था में कुछ और नये कथानक जोड़कर अनेक कल्पित,रुचिकर और बच्चों को सीख देने वाले अनेक किस्से जैसे आर्यावर्त की रोचक कथाऐं, बाली का बेटा, रानी का प्रेत, सुनसान इमारत, छावनी का नक्शा, और