15 काम अपनी गति से चल रहा था, सुबह ‘लोकेशन’ पर निकल जाना, रास्ते में जो भी मिले चना-चबैना खाकर फिर आगे बढ़ जाना | दो दिन बाद ही शारीरिक तथा मानसिक थकान से समिधा के पुर्ज़े ढीले होने लगे | समय भी कम था, दामले की इच्छा थी कि एक लेखिका की हैसियत से समिधा भी उन ‘लोकेशन्स ’को तय करने में ‘टीम ‘का हिस्सा बने | जहाँ-जहाँ वे अपनी सीरियल की शूटिंग करना चाहते थे, वे समिधा को भी साथ चलने का आग्रह करते जबकि उसके जाने की कोई इतनी ज़रूरत भी नहीं थी | काम यहाँ आए