मैं अकेला ही काफी हूँ

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दोस्तों हमारे साथ अक्सर ऐसा है, होता जब हमे कोई नहीं समझता है । हमारे साथ कोई भी नहीं होता है, हमे हमारी मंजिलो तक खुद ही चलना पड़ता है कोई साथ नहीं देता है , ऐसे में जब कोई भी हमे नहीं समझता तो हमे निराश न होकर खुद ही अकेले अपनी मंजिलो तक जाना चाहिए। दोस्तों यहाँ पर आपको कुछ कविता मिलेगी जो आपको अकेले ही आगे बढ़ने मे होंसला देगी.. चल रहा हूँ अकेला,सपने मेरे पास हैकोई साथ दे न दे ,खुदा मेरे साथ है, जा रहा है