नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 9

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9- कभी-कभी वह बिना सही बात जाने ही निर्णय ले लेती है | रैम के दादा के धर्म परिवर्तन की बात सुनकर वह व्यर्थ ही वाचाल हो गई थी | इंसान की भूख बड़ी है अथवा उसकी जाति व धर्म ?हम क्यों अपने मंदिरों में भगवान को दूध पिला सकते हैं पर गरीब का पेट नहीं भर सकते !उसे तो नहीं लगता कि किसी भी देवता की मूर्ति ने अपने भक्तों से दूध पीने की इच्छा व्यक्त की हो |हम इंसान ही तो इंसान के मुँह से रोटी छीनते हैं और मूर्ति को जबरदासी दूध पिलाते हैं !भूख इंसान को