मौत का खेल - भाग -12

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तफ्तीश इंस्पेक्टर कुमार सोहराब और सार्जेंट सलीम के बीच अभी बातें हो ही रही थीं कि तभी सोहराब के फोन की घंटी बजी। दूसरी तरफ से राजेश शरबतिया की घबराई हुई आवाज आई, “सोहराब साहब... मैं एक मुसीबत में फंस गया हूं। आप जितनी जल्दी हो सके शरबतिया हाउस आ जाइए।” “क्या हुआ... सब खैरियत तो है न?” सोहराब ने पूछा। “बस आप जल्दी पहुंच जाइए।” यह कहते हुए शरबतिया ने फोन काट दिया। सोहराब ने फोन रखते हुए सलीम से कहा, “घोस्ट ले आइए... शरबतिया हाउस चलना है अभी तुरंत।” “कोई खास बात?” सलीम ने पूछा। “रास्ते में बात