एक थी...आरजू - 1

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एक थी आरजू-1 प्रिय पाठकों,यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है जिसका किसी भी व्यक्ति के जीवन अथवा किसी घटना विशेष से कोई सम्बन्ध नहीं है। कहानी का उद्देश्य मनोरंजन मात्र है,किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचना नहीं। यदि कहानी में कहीं भी कोई गलती हुई है तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ--सत्यम मिश्रा! आरजू! बाईस तेईस वर्षीय बला सी खूबसूरत और मॉर्डन ख्यालातों की गुलाम लड़की। तीखे नैन नख्श और कातिल अदाओं वाली आरजू दिल्ली