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रज्जो का पति कल्लू शहर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था । बहुत दिन हुए उसने शहर से कुछ नहीं भेजा था । जब पिछली बार फोन किया था , निराश लग रहा था । रुआंसा होकर उसने रज्जो को बताया था " कोई रोजगार मिल नहीं रहा है । दो दिन से मेरे पास भी पैसे नहीं हैं । देखो ! तुम गांव में कुछ भी कर लो , मजदूरी वगैरह , मैं कुछ नहीं बोलूंगा बस बच्चों का ध्यान रखना । " आज लगातार तीसरा दिन था जब घर में चूल्हा नहीं जला था । बड़ी बेटी ग्यारह