5 चार दिन बाद शालिनी और हरिहर स्कूल के बाहर खड़े थें । मनीराम पान से भरा मुँह बिचकाकर उन्हें देख रहा था । जब उसने स्कूल का दरवाज़ा खोला तो हरिहर को लगा आज उसके बच्चों की बंद किस्मत के दरवाज़े भी खुल जायेंगे। मोतीलाल इस तरह अपने कमरे में दोनों को देखकर हैरान और सकते में आ गया । उसने बड़े ही कड़वे लहज़े में बोलना शुरू किया, यह कोई तरीका नहीं है, मैं तुम लोगों को अभी थाने पहुँचा सकता हूँ । और बहनजी आप यहाँ इनके साथ क्या कर रही हैं? अब पुरषों की रीढ़ की