अन्ना राजनीति में ‘‘मत’’ जाना ....यह आलेख उस समय की तात्कालीन परिस्थितियो में व्यवस्था पर व्यंग्य के रूप में लिखा गया था जो अनेक अखबारों में प्रकाशित भी हुआ था । अन्ना आदरणीय है इस आलेख में पूरे आदर के साथ उन्हें सूत्राधार के रूप में देखें । अन्ना जी हमें ऐसा लगने लगा है कि आप तो है एक भोले – भाले व्यक्ति फिर भी राजनैतिक जमात की रोजी - रोटी के पीछे पड़े है । वे आपसे पीछा छुड़ाने के लिए कभी आप को भगोड़ा कहते है तो कभी भ्रष्टाचारी ; कभी वे अलग-अलग आप की प्रशंसा