टकटक (केवल प्रबुद्ध वयस्कों के लिए)

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Story Title: Taktak WITH PAWAN KUMAR टक टक{केवल प्रबुद्ध वयस्कों के लिए}******* जैसे जैसे ज़हर का नील मेरे लहू में घुलता जा रहा था,मेरी यादें माज़ी की बदरोटी कोख से निकल कर सफ़ेद हुई जा रही थीं।सफ़ेद शफ़्फ़ाक़ चीज़ें मुझे दर्द देती थीं।मेरा बाप भी समाज़ का बड़ा सफ़ेदपोश इंसान था,मेरी माँ के कालेपन से लजा कर किसी सफ़ेद शफ़्फ़ाक़ हुस्न की आग़ोश में चला गया।लावालिदी ने मुझे दर्द तो दिया हीं,साथ में दी चोरी चकारी की गलाज़त