“बिशुन बिशुन बार बार” – परम्परा का खोता हुआ प्रवाह

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उत्तर प्रदेश के मध्य भाग में लोक पर्वों की बहुतायत है। हिंदी पंचांग के कुछ माह तो ऐसे हैं जिनमें हर एक दो दिन बाद एक लोकपर्व आ जाता है। ये पंचमी, वो षष्ठी, ये अष्टमी और इनमें से हर पर्व की एक लोककथा है, पूजा है, देवी देवता हैं, विशेष फल और व्यंजन हैं और साथ ही है उसका कुछ न कुछ आध्यात्मिक और सामाजिक ध्येय। न जाने कितने सौ या कदाचित सहस्त्र वर्षों से परम्परा का ये प्रवाह होता रहा है। हम उस पीढ़ी से हैं जिसने बचपन में इसका बहुत आनन्द लिया है और अब धीरे धीरे