हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग छह)

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(भाग छह) मेरी पढ़ाई छुड़ाने के लिए पतिदेव ने सारे जतन कर डाले। पड़ोसियों, रिश्तेदारों सबसे दबाव डलवाया। मेरे घर आना- जाना बंद कर दिया1 । कुछ दूरी पर किराए का कमरा ले लिया। उसी में मीट की दावत देते। मेरे चटोरे भाई- बहन जाकर खा आते पर माँ और मैं कभी नहीं गए। बच्चों से मिलने घर के बाहर आते तो मैं उन्हें नहीं रोकती। वे घर के बाहर ही उन्हें लेकर बैठते या आस -आस घुमाते, बतियाते, फिर चले जाते। मैं बच्चों के मन में उनके पिता के लिए कोई गलत भावना नहीं भरना चाहती थी। उनके बीच