प्यार भी इंकार भी (अंतिम भाग)

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"क्या प्यार का मतलब सिर्फ शादी ही है?"चारुलता ने प्रश्न किया था।"प्यार को सामाजिक सम्मान प्रदान करने के लिए शादी का प्रावधान है।विवाह मर्द और औरत को प्यार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।"देवेन बोला था।"देवेन मै तुम्हारी बात से सहमत नही हूँ,"चारुलता बोली,"मै तुम्हे तहेदिल से प्यार करती हूं।मन से ही नही तन से भी तुम्हारी हो चुकी हूँ।अगर तुम अकेले रहना नही चाहते टी मै तुम्हारे साथ रहने के लिए भी तैयार हूँ।पर मै तुम्हारे साथ शादी के बंधन मे नही बंध सकती।""क्यो?"चारुलता की बात सुनकर देवेन आश्चर्य से बोला,"जब तुम मेरे साथ रहने के लिए तैयार हो,टी