गरीबी और झूठ ( व्यंग्य )

  • 9.2k
  • 1
  • 2.3k

गरीबी और झूठ मंडी के पास एक हम्माल दीनू और ठेला चलाने वाला छोटू कुछ देर बैठे थे । दीनू बोला "आज तो मंडी में माल ही नहीं आया, काम है ही नहीं। है ....कि ...नहीं ।" छोटू ने उसकी हां में हां मिलाई और बोला " आज तो मुझे भी कोई काम नहीं मिला ;न जाने आज क्या होगा? " दीनू सर हिलाते हुए बोला " होगा क्या..... जो कुछ घर में है घर में बचा हो, वह बच्चों का खिलाओ और खुद भूखे सो जाओ; हमेशा की तरह‌। है.... कि.... नहीं। " हाथ ठेले