लक्ष्मी का वरदान

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किसी नगर में एक धनलाल नाम का सेठ था । धन के देवता कुबेर जी उनसे बहुत प्रसन्न थे। घर मे किसी भी चीज की कोई कमी नही थी। दूध,घी,धन्य एवं धान सभी भरपूर था। इतना सबक कुछ होने के बाद भी वह बहुत ही कंजूस एवं अत्याचारी था। उसके पास बहुत सारी जमीन थी । गाँव के अधिकतर लोग उसकी मजदूरी करते थे। सेठ उनसे बहुत काम लिया करा था, और बदले नाम मात्र की मजदूरी देता था । उनमें से कुछ लोगों के पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था कि वह सेठ की मजदूरी करें और गुलामी