भीमा ने हरिहर के कँधे पर हाथ रखा और कहा, भाभी से माफ़ी माँग लियो। बच्चे तुझे देख रहे होंगे । जा घर जा । हरिहर ने एक नज़र नहर पर डाली । और अपने घर की तरफ़ चल दिया । रास्ते से रमिया काकी के यहाँ से बच्चों को लेकर अपने घर पहुँचा । घर के नाम पर ईटों से बना एक कमरा, रसोई और स्नानघर हैं । केशव की माँ भागो हमेशा कहती थीं, बच्चे पढ़-लिखकर हमारी गरीबी मिटा देंगे । उसने सोच लिया है, कल ही बच्चो का दाख़िला अपनी तरफ़ के स्कूल में करवा देता हूँ ।