कहानी भोला की - 2

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काफी देर तक आजाद मैदान में घुमते हुए भोला विचार करता रहा । अब क्या करे ? कहाँ जाए ? इतने बड़े शहर में कोई परिचित भी नहीं था जहाँ चला जाये । सोचते हुए भी उसके कदम चलते रहे । इधर उधर घुमते हुए वह वापस महानगर पालिका भवन के पास आकर खड़ा हो गया ।बगल में ही कई लोगों को स्टाल पर से वडा सांबर मसाला डोसा वगैरह खाते देखकर मन ही मन सोचा पता नहीं ये लोग क्या खा रहे हैं ? न रोटी ही है और न सब्जी !तभी सामने से आती डबल डेक्कर बस देखकर