उपन्यास भाग—१२ दैहिक चाहत –१२ आर. एन. सुनगरया, देव एकान्त में अपने अतीत को खंगाल रहा है। क्या खोया, क्या पाया, तर्कपूर्ण न्याय संगत, पक्षपात रहित दृष्टिकोण से सम्पूर्ण पूर्व दु:ख-सुख युक्त वाकियों को हर स्तर पर परखने के बाद ज्ञात हुआ कि हाथ कुछ नहीं लगा, हाथ खाली के खाली, सब कुछ गंवाया