ईमानदारी का कीड़ा (व्यंग्य)

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ईमानदारी का कीड़ा ( व्यंग्य ) हमारे आस-पास सामान्य लोगों की संख्या बहुत अधिक है । आज के समय में सामान्य वही है जो खुद खाता है औरों को खाने देता है। ले- दे के अपने और दूसरों के काम-काज निपटाना ही सामान्य व्यवहार है । बहुत ही थोड़ी संख्या में ही सही हमारे आसपास ईमानदार के कीड़े से ग्रस्त बीमार लोग दिखाई देते रहते हैं । ऐसे लोग समाज, राजनीति और अर्थशास्त्र को बहुत बुरी तरह से प्रभावित करते हैं । ऐसे ही लोगों के कारण कुछ अच्छे लोगों को अनावश्यक रूप से जेलों में रहने के