हजारी प्रसाद द्विवेदी -मूल्यों का पुनर्पाठ

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हजारी प्रसाद द्विवेदी का साहित्यः मूल्यों का पुनर्पाठ डॉ० के.बी.एल.पाण्डेय साहित्य को व्यापक मानवतावाद और मूल्यवत्ता से जोड़ने वाले तथा मनुष्य को सभी सरोकारों के केन्द्र में रखने वाले हजारी प्रसाद द्विवेदी शुक्लोत्तर युग के ही नहीं पूरे हिन्दी साहित्य के विलक्षण गद्यकार हैं। डॉ० नामवरसिंह जब उन्हें दूसरी परमपरा के उदभव के रूप में देखते हैं तो द्विवेदी जी को पढ़ने का नया सन्दर्भ मिलता है। एक ओर शास्त्र और परंपरा का गहन पाण्डित्य दूसरी ओर आधुनिकता की मूल्यारकता के नये विमर्श की ग्रहणशील गतिशीलता जैसे धुवान्तों से द्विवेदी जी अमिश्र मिया नहीं बनाते बल्कि उनकी सार्थक अनिवार्यताओं का