चूल्हा ठंडा नहीं होता

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चूल्हा ठंडा नहीं होता-कहानी "रामनारायण बाजा बजाए… रामनारायण बाजा बजाए सब लोगों का दिल बहलाए" गाते हुए रामनारायण सोचता है "अच्छा है अपने परिवार से कोसों दूर रहने वाले मेरे साथियों के चेहरों पर मेरे कारण मुस्कान तो आती है।" साथियों की बातों को याद कर मन ही मन मुस्कराते हुए चिलचिलाती धूप में सोने सी चमकती रेत से चुंधियाती आँखें, घुटनों तक लंबे जूतों में पसीने के कुलबुलाते कीड़े, उड़-उड़कर कपड़ों में भर चुकी रेत की काटती चीटियों के अहसास से अनजान। पचास डिग्री टेंप्रेचर में भी इन रेतीले धोरों के बीच मुस्तैद खड़ा ये है सिपाही