उजाले की ओर - संस्मरण

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उजाले की ओर ---संस्मरण ------------------------ कई बार बहुत से लोग बहुत सुंदर लगते हैं ,आकर्षित करते हैं ,मित्रता भी हो जाती है किन्तु कुछ दिनों बाद ही उनकी बातों से मन उचाट होने लगता है |इसका कारण सोचना बहुत आवश्यक है | जिनसे हम इतने अभिभूत हुए कि उन्हें अपना मित्र बना लिया ,जिनसे अपने व्यक्तिगत विचार व समस्याएँ साझा कीं ,उनसे ही मन उचाट क्यों होने लगा आख़िर ! मुझे अपनी दिवंगत नानी की कुछ बातें कई बार याद आने लगती हैं ,वो भी कभी जब कोई स्थिति ऐसी उत्पन्न हो जाए जो हमें असहज करने