त्रिधा कॉलेज कैंटीन में बैठी हुई थी मगर हर्षवर्धन की बात सुनकर वह वहां से उठकर बाहर की तरफ जाने लगी थी तभी हर्षवर्धन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और उससे कहने लगा - "आज तुम्हें मेरी बात सुननी ही होगी त्रिधा""क्या है हर्षवर्धन? तुम्हें भी बहुत अच्छे से पता है कि मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी है फिर क्यों तुम जबरदस्ती मेरे आस पास रहने की कोशिश करते हो?" त्रिधा ने गुस्से में हर्षवर्धन से कहा। वह कभी किसी पर इतनी नाराज नहीं हुई थी। हर्षवर्धन हैरान रह गया।"हां मैं जबरदस्ती तुम्हारे आस पास रहने की