फाईल दौड़ (व्यंग्य )

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फाईल दौड़ (व्यंग्य ) हमारे बाबू साहब अपने ऑफिस में बैठे पान की जुगाली कर रहे थे कि बस अचानक चार फाईलें में अपने आरंभ स्थल यानी स्टार्टिंग प्वाइंट यानी टेबल पर पहुंचकर स्थान लेने लगी। शाम होते ना होते फाईलें वार्म अप होकर दौड़ के लिए तैयार होने लगी । फाईलों को लग रहा था कि यह एक साधारण दौड़ है जिसमें अपनी दौड़ को समाप्त करके अपने लक्ष्य तक सामान्य तरीके से पहुंच जाएंगी । इन फाईलों को यह नहीं मालूम था की टेबलों के दूसरी ओर बैठे हुए उतने सज्जन नहीं है