ट्रेन में चोरी होने की खबर अखबार में पढ़ते या किसी से सुनते या रिश्तेदारी से आने वाले किसी पत्र में लिखा आता,"सफर में सामान चोरी हो गया,तो दुख कम हमे आश्चर्य ज्यादा होता।सोचते चोरी कैसे हो जाती है।सफर में सावधान क्यों नही रहते?सो क्यो जाते है?सोते नही तो औरतों को घूरने में ही क्यो लगे रहते है?हो सकता हो सामने बैठी हसीना को चोर नज़र से घूरने में लगे हो।तब ही चोरी हो गई होगी?अगर ऐसी बात नही होती तो चोरी हो ही नही सकती।हम भी सफर करते है।जिंदगी के चालीस साल क्या हमने युहीं गुज़र दिए।हमारे बाल यों